
आंध्र प्रदेश सरकार ने मंगलवार को केंद्र द्वारा सामान्य वर्ग के गरीबों को दिए जा रहे 10 प्रतिशत आरक्षण में से आधा हिस्सा यानी पांच प्रतिशत आरक्षण अगड़ी जाति ‘कापू’ को देने का फैसला किया। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घोषणा की कि राज्य सरकार ने काफी समय पहले कापू समुदाय को आरक्षण देने के लिए केंद्र से अनुरोध किया था, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार इस पर सहमत नहीं हुई। नायडू ने तेदेपा नेताओं से टेलीकांफ्रेंस के दौरान कहा, ‘अब, केंद्र द्वारा (सामान्य श्रेणी के) आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिए जा रहे 10 प्रतिशत आरक्षण में से हम पांच प्रतिशत कापू समुदाय जबकि बाकी का (पांच प्रतिशत) ईडब्ल्यूएस (सामान्य वर्ग के गरीब) को देंगे।
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संसद ने इस महीने की शुरुआत में संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित किया था, जिसमें सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोरों को सरकारी नौकरियों तथा शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। तेलुगू देशम पार्टी ने 2014 चुनावों से पहले कापू समुदाय को पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल करने तथा उन्हें नौकरियों तथा शिक्षण संस्थानों में पांच प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था।
दो दिसंबर 2017 को राज्य सरकार ने विधानसभा में एक विधेयक पेश करके कापू समुदाय को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा था। यह विधेयक बाद में केन्द्र के पास भेजा गया था और उससे कापू समुदाय को पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल करने के लिए नौवीं अनुसूची में संवैधानिक संशोधन करने का अनुरोध किया गया था क्योंकि प्रस्तावित पांच प्रतिशत आरक्षण समाज के विभिन्न वर्गों के लिए दिये जा रहे 50 प्रतिशत आरक्षण से ऊपर था।
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केन्द्र ने राज्य का अनुरोध इस आधार पर नहीं माना था कि यह आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लंघन करता है। इससे पहले, आंध्र प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग ने आरक्षण की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट सौंपी थी। हालांकि, आयोग के तत्कालीन प्रमुख न्यायमूर्ति के एल मंजूनाथ के इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं थे जबकि दो अन्य सदस्यों ने इसे राज्य सरकार को सौंपा था। आयोग का गठन जनवरी 2016 को कापू समुदाय के आंदोलन के बाद किया गया था।